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what is paper chromatography

पेपर क्रोमैटोग्राफी एक सरल प्रयोगशाला तकनीक है जिसका उपयोग मिश्रण के घटकों को अलग करने और पहचानने के लिए किया जाता है। इसमें कागज को स्थिर चरण (स्टेशनरी फेज) और तरल सॉल्वेंट को गतिशील चरण (मोबाइल फेज) के रूप में उपयोग किया जाता है।

सॉल्वेंट कागज पर ऊपर की ओर बढ़ता है, और मिश्रण के घटक उनकी घुलनशीलता और कागज के प्रति आकर्षण के आधार पर अलग-अलग दूरी तक यात्रा करते हैं। अलग हुए घटक कागज पर अलग-अलग स्थानों पर दिखाई देते हैं, जिन्हें Rf मान से मापा जा सकता है।

यह तकनीक सस्ती, सरल और जैव रसायन, पर्यावरण विज्ञान, और फोरेंसिक जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोगी है।

सॉल्वेंट कागज पर ऊपर की ओर बढ़ता है, और मिश्रण के घटक उनकी घुलनशीलता और कागज के प्रति आकर्षण के आधार पर अलग-अलग दूरी तक यात्रा करते हैं। अलग हुए घटक कागज पर अलग-अलग स्थानों पर दिखाई देते हैं, जिन्हें Rf मान से मापा जा सकता है।

यह तकनीक सस्ती, सरल और जैव रसायन, पर्यावरण विज्ञान, और फोरेंसिक जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोगी है।

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पेपर क्रोमैटोग्राफी का सिद्धांत क्या है, और यह किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों को कैसे अलग करता है?

पेपर क्रोमैटोग्राफी एक सरल और प्रभावी तकनीक है जिसका उपयोग मिश्रण के घटकों को अलग करने और पहचानने के लिए किया जाता है। इसका सिद्धांत और प्रक्रिया इस प्रकार है:

सिद्धांत (Principle):

पेपर क्रोमैटोग्राफी का सिद्धांत यह है कि मिश्रण के विभिन्न घटक एक स्थिर चरण (स्टेशनरी फेज) और एक गतिशील चरण (मोबाइल फेज) के साथ अलग-अलग दरों पर अंतःक्रिया करते हैं।

  • स्थिर चरण (Stationary Phase): इसमें कागज (फिल्टर पेपर) का उपयोग किया जाता है, जो पानी या किसी अन्य ध्रुवीय तरल को सोख लेता है।
  • गतिशील चरण (Mobile Phase): यह एक सॉल्वेंट (जैसे पानी, एथेनॉल, या किसी अन्य उपयुक्त तरल) होता है जो कागज पर ऊपर की ओर या नीचे की ओर बहता है।

मिश्रण के घटक स्थिर चरण और गतिशील चरण के साथ उनकी घुलनशीलता (solubility) और कागज पर अवशोषण (adsorption) के आधार पर अलग होते हैं।


अलगाव की प्रक्रिया (Separation Process):

  1. नमूना तैयार करना:
    • मिश्रण का एक छोटा सा बिंदु कागज की सतह पर लगाया जाता है।
    • इसे आमतौर पर कागज के निचले हिस्से में लगाया जाता है।
  2. सॉल्वेंट का उपयोग:
    • कागज को सॉल्वेंट में रखा जाता है, इस तरह कि सॉल्वेंट का स्तर मिश्रण बिंदु से नीचे हो।
    • सॉल्वेंट धीरे-धीरे कागज के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ता है।
  3. अलगाव:
    • मिश्रण के घटक सॉल्वेंट में अपनी घुलनशीलता और स्थिर चरण के प्रति अपने आकर्षण के आधार पर अलग-अलग गति से यात्रा करते हैं।
    • जो घटक सॉल्वेंट में अधिक घुलनशील होते हैं, वे तेज गति से ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जबकि कम घुलनशील घटक धीमी गति से।
  4. परिणाम (Result):
    • अंत में, मिश्रण के घटक कागज पर अलग-अलग स्थानों पर दिखाई देते हैं।
    • इन्हें Rf मूल्य (Retention factor) की गणना द्वारा पहचाना और वर्गीकृत किया जा सकता है:

    Rf=घटक द्वारा तय की गई दूरीसॉल्वेंट द्वारा तय की गई दूरीR_f = \frac{\text{घटक द्वारा तय की गई दूरी}}{\text{सॉल्वेंट द्वारा तय की गई दूरी}}


उपयोग (Applications):

  • जैव रसायन में प्रोटीन, एमिनो एसिड, और कार्बोहाइड्रेट का अध्ययन।
  • दवाओं और रसायनों के परीक्षण में।
  • खाद्य पदार्थों में अशुद्धियों की पहचान।
  • रंगीन पिगमेंट और डाई का पृथक्करण।

यह तकनीक सस्ती और सरल होने के कारण व्यापक रूप से प्रयोगशालाओं में उपयोग होती है।

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