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state and explain le chatelier’s principle

state and explain le chatelier’s principle|ले-शातेलियर का सिद्धांत (Le Chatelier’s Principle) यह बताता है कि यदि किसी संतुलित रासायनिक प्रतिक्रिया में बाहरी कारक जैसे तापमान, दाब, या सांद्रता में परिवर्तन किया जाए, तो प्रतिक्रिया उस परिवर्तन का प्रतिरोध करने की कोशिश करती है और एक नया संतुलन स्थापित करती है। इसे तीन मुख्य बिंदुओं में समझा सकते हैं:

state and explain le chatelier’s principle


1. सांद्रता में परिवर्तन (Change in Concentration):

  • यदि किसी अभिकारक (Reactant) या उत्पाद (Product) की सांद्रता बढ़ाई जाती है: प्रतिक्रिया उस दिशा में आगे बढ़ेगी जो अतिरिक्त पदार्थ को खपत करेगी।
    • उदाहरण: यदि A+BC+DA + B \leftrightarrow C + D में AA की सांद्रता बढ़ाई जाती है, तो प्रतिक्रिया दाईं ओर (उत्पादों की दिशा) बढ़ेगी।
  • यदि किसी अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता घटाई जाती है: प्रतिक्रिया उस दिशा में आगे बढ़ेगी जो कमी को पूरा करे।

2. तापमान में परिवर्तन (Change in Temperature):

  • यदि तापमान बढ़ाया जाता है: प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जो ताप का अवशोषण करती है (एंडोथर्मिक दिशा)।
    • उदाहरण: यदि प्रतिक्रिया में गर्मी अवशोषित होती है (+ΔH+\Delta H), तो तापमान बढ़ने पर प्रतिक्रिया आगे बढ़ेगी।
  • यदि तापमान घटाया जाता है: प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जो गर्मी उत्पन्न करती है (एक्सोथर्मिक दिशा)।

3. दाब में परिवर्तन (Change in Pressure):

  • यह केवल गैसीय अवस्थाओं में लागू होता है।
  • यदि दाब बढ़ाया जाता है: प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जहां गैस के अणुओं की संख्या कम हो।
    • उदाहरण: N2+3H22NH3N_2 + 3H_2 \leftrightarrow 2NH_3 में दाब बढ़ाने पर प्रतिक्रिया दाईं ओर (उत्पाद की ओर) बढ़ेगी क्योंकि उत्पाद में गैस के अणुओं की संख्या कम है।
  • यदि दाब घटाया जाता है: प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जहां गैस के अणुओं की संख्या अधिक हो।

ले-शातेलियर के सिद्धांत को अधिक गहराई से समझने के लिए हम इसे विस्तृत उदाहरणों और विशेष परिस्थितियों के साथ विस्तार से देख सकते हैं।


1. सांद्रता में परिवर्तन (Change in Concentration):

  • अधिक अभिकारकों को जोड़ना:
    यदि किसी संतुलन प्रतिक्रिया में अधिक अभिकारक (Reactants) जोड़े जाते हैं, तो प्रतिक्रिया उत्पादों की दिशा में जाएगी ताकि संतुलन फिर से स्थापित हो सके।

    • उदाहरण:
      H2+I22HIH_2 + I_2 \leftrightarrow 2HI
      यदि H2H_2 या I2I_2 की सांद्रता बढ़ाई जाए, तो प्रतिक्रिया दाईं ओर बढ़ेगी और अधिक HIHI बनेगा।
  • उत्पाद को हटाना:
    यदि किसी उत्पाद को प्रतिक्रिया से हटा दिया जाता है, तो संतुलन उस दिशा में शिफ्ट करेगा जहां वह उत्पाद पुनः बनाया जाए।

    • उदाहरण:
      CO+H2OCO2+H2CO + H_2O \leftrightarrow CO_2 + H_2
      यदि H2H_2 को हटाया जाए, तो प्रतिक्रिया दाईं ओर बढ़ेगी।

2. तापमान में परिवर्तन (Change in Temperature):

  • एंडोथर्मिक (Endothermic) प्रतिक्रियाएं:
    इनमें गर्मी एक अभिकारक की तरह काम करती है।

    • यदि तापमान बढ़ाया जाए, तो प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जो गर्मी अवशोषित करती है।
    • उदाहरण:
      N2O4(g)+heat2NO2(g)N_2O_4 (g) + \text{heat} \leftrightarrow 2NO_2 (g)
      यदि तापमान बढ़ाया जाए, तो प्रतिक्रिया दाईं ओर (उत्पादों की दिशा में) बढ़ेगी।
  • एक्सोथर्मिक (Exothermic) प्रतिक्रियाएं:
    इनमें गर्मी एक उत्पाद की तरह काम करती है।

    • यदि तापमान घटाया जाए, तो प्रतिक्रिया उस दिशा में बढ़ेगी जो गर्मी उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण:
      2SO2(g)+O2(g)2SO3(g)+heat2SO_2 (g) + O_2 (g) \leftrightarrow 2SO_3 (g) + \text{heat}
      यदि तापमान घटाया जाए, तो प्रतिक्रिया दाईं ओर (उत्पाद की दिशा में) बढ़ेगी।

3. दाब में परिवर्तन (Change in Pressure):

  • यह प्रभाव केवल गैसीय प्रतिक्रियाओं पर लागू होता है जहां गैस के मोल संख्या में बदलाव होता है।
  • दाब बढ़ाना:
    प्रतिक्रिया उस दिशा में शिफ्ट करेगी जहां गैस के कुल अणुओं की संख्या कम हो।

    • उदाहरण:
      N2(g)+3H2(g)2NH3(g)N_2 (g) + 3H_2 (g) \leftrightarrow 2NH_3 (g)
      दाब बढ़ाने पर प्रतिक्रिया दाईं ओर बढ़ेगी क्योंकि NH3NH_3 में गैस के अणुओं की संख्या कम है।
  • दाब घटाना:
    प्रतिक्रिया उस दिशा में शिफ्ट करेगी जहां गैस के कुल अणुओं की संख्या अधिक हो।

    • उदाहरण:
      PCl5(g)PCl3(g)+Cl2(g)PCl_5 (g) \leftrightarrow PCl_3 (g) + Cl_2 (g)
      दाब घटाने पर प्रतिक्रिया दाईं ओर बढ़ेगी।

4. कैटलिस्ट का प्रभाव (Effect of Catalyst):

  • ले-शातेलियर के सिद्धांत के अनुसार, कैटलिस्ट संतुलन की स्थिति को प्रभावित नहीं करता है। यह केवल संतुलन प्राप्त करने की दर को तेज करता है।
    • उदाहरण:
      2SO2+O22SO32SO_2 + O_2 \leftrightarrow 2SO_3 में V2O5V_2O_5 कैटलिस्ट संतुलन की स्थिति को नहीं बदलेगा लेकिन प्रतिक्रिया को तेजी से संतुलन तक पहुंचाएगा।

5. जड़त्व (Inertia) का विचार:

  • संतुलन प्रणाली में किए गए किसी भी बदलाव का प्रभाव केवल तब तक होता है जब तक प्रतिक्रिया नया संतुलन स्थापित नहीं कर लेती।
  • प्रतिक्रिया की प्रवृत्ति हमेशा उस स्थिति को बनाए रखने की होती है जिसमें संतुलन स्थिर हो।

अतिरिक्त उदाहरण:

  1. औद्योगिक अमोनिया उत्पादन (Haber Process):
    N2(g)+3H2(g)2NH3(g)+heatN_2 (g) + 3H_2 (g) \leftrightarrow 2NH_3 (g) + \text{heat}

    • उच्च दाब: प्रतिक्रिया दाईं ओर (अमोनिया के उत्पादन की दिशा) बढ़ती है।
    • निम्न तापमान: प्रतिक्रिया दाईं ओर बढ़ती है लेकिन गति धीमी हो जाती है।
  2. संपर्क प्रक्रिया (Contact Process):
    2SO2(g)+O2(g)2SO3(g)+heat2SO_2 (g) + O_2 (g) \leftrightarrow 2SO_3 (g) + \text{heat}

    • उच्च दाब और निम्न तापमान SO3SO_3 के उत्पादन को बढ़ाते हैं।

सारांश:

ले-शातेलियर का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि रासायनिक संतुलन बाहरी हस्तक्षेपों का जवाब देकर एक नई स्थिर स्थिति तक पहुंचे। यह सिद्धांत रासायनिक उद्योगों में प्रतिक्रिया स्थितियों को नियंत्रित करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

ले-शातेलियर का सिद्धांत रासायनिक संतुलन को बाहरी हस्तक्षेपों के प्रति लचीला बनाता है और प्रतिक्रिया में होने वाले परिवर्तनों को समझने में मदद करता है।

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