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Precious Chemicals for Your Success: Every Doubt Solved Here Now!

Precious Chemicals for Your Success.रसायन विज्ञान के जटिल विषयों को आसान और स्पष्ट तरीके से समझें। यहां पाएँ अर्द्ध-आयुकाल, आपातीय एकाण्विक अभिक्रिया, और अन्य महत्वपूर्ण रासायनिक सिद्धांतों के सरल और सटीक उदाहरण।

Precious Chemicals for Your Success

प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के बारे में चर्चा की गई है। चलिए इसे विस्तार से समझते हैं:

  1. प्रथम कोटि की अभिक्रिया (First-Order Reaction):
    इसमें अभिक्रिया की दर प्रतिक्रिया के एकमात्र प्रतिक्रिया के सांद्रता पर निर्भर करती है। इसका समीकरण निम्न प्रकार होता है:  r=k[A]r = k[A]जहां

    rrदर है,

    kkदर स्थिरांक है, और

    [A][A] अभिकारक की सांद्रता है।

  2. उदाहरण (Examples):
    • एस्टर का जल अपघटन (Ester Hydrolysis):
      CH3COOC2H5+NaOHCH3COONa+C2H5OHCH_3COOC_2H_5 + NaOH \rightarrow CH_3COONa + C_2H_5OH 
    • एसीटाल्डिहाइड का सामूहिक विभाजन (Acetaldehyde Decomposition):
      2CH3CHO2CH4+2CO2CH_3CHO \rightarrow 2CH_4 + 2CO 
  3. आपातीय एकाण्विक अभिक्रिया (Pseudo-Unimolecular Reaction):
    यह एक विशेष प्रकार की अभिक्रिया होती है जिसमें अभिकारकों में से एक का सांद्रण इतना अधिक होता है कि वह प्रतिक्रिया की दर को प्रभावित नहीं करता।
  4. अर्द्ध-आयुकाल (Half-Life):
    प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्द्ध-आयुकाल को निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया जाता है:  t1/2=0.693kt_{1/2} = \frac{0.693}{k}जहां

    t1/2t_{1/2} अर्द्ध-आयुकाल है और

    kkदर स्थिरांक है।

  5. अर्द्ध-आयुकाल का गणितीय सूत्र (Mathematical Expression for Half-Life):
    यदि प्रारंभिक सांद्रता aa 

    मोल/लीटर है, तो

    tt 

    समय के बाद बची हुई सांद्रता

    axa-x 

    होगी। इसका अभिक्रियात्मक स्थिरांक निम्नलिखित होगा:

    k=2.303tlogaaxk = \frac{2.303}{t} \log \frac{a}{a-x}और जब

    x=a2x = \frac{a}{2} हो, तो अर्द्ध-आयुकाल का समीकरण बनेगा:

     

    k=2.303t1/2logaaa/2k = \frac{2.303}{t_{1/2}} \log \frac{a}{a-a/2}यह सूत्र अर्द्ध-आयुकाल के लिए प्रयोग होता है और यह दर स्थिरांक के साथ सांद्रता के घटाव को दर्शाता है।

इन सिद्धांतों के आधार पर, प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं को आसानी से समझा और उनके विभिन्न समीकरणों का उपयोग करके गणनाएं की जा सकती हैं।

आपातीय एकाण्विक अभिक्रिया (Pseudo-Unimolecular Reaction):

यह एक ऐसी रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसमें दो या अधिक अभिकारक शामिल होते हैं, लेकिन उनमें से एक अभिकारक की सांद्रता बहुत अधिक होती है, जिससे उसकी सांद्रता में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता। इस स्थिति में, अभिक्रिया की दर केवल दूसरे अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर करती है। इस प्रकार, यह अभिक्रिया एकाण्विक (Unimolecular) अभिक्रिया के रूप में व्यवहार करती है, हालांकि इसमें वास्तव में दो या अधिक अभिकारक होते हैं।

उदाहरण के लिए:

 

CH3COOC2H5+H2OH+CH3COOH+C2H5OHCH_3COOC_2H_5 + H_2O \xrightarrow{H^+} CH_3COOH + C_2H_5OH

 

इस अभिक्रिया में जल की सांद्रता बहुत अधिक होती है, इसलिए अभिक्रिया की दर मुख्य रूप से एस्टर (

CH3COOC2H5CH_3COOC_2H_5

) की सांद्रता पर निर्भर करती है। यही कारण है कि इसे आपातीय एकाण्विक अभिक्रिया कहा जाता है।

अर्द्ध-आयुकाल (Half-Life):

अर्द्ध-आयुकाल उस समय अवधि को कहते हैं जिसमें किसी अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता का आधा भाग अभिक्रिया में परिवर्तित हो जाता है। दूसरे शब्दों में, यह वह समय है जिसके दौरान किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक की मात्रा आधी हो जाती है।

अर्द्ध-आयुकाल की विशेषता यह है कि यह अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करती है, खासकर प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं में। इसे निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया जाता है:

 

t1/2=0.693kt_{1/2} = \frac{0.693}{k}

यहां,

t1/2t_{1/2}

अर्द्ध-आयुकाल है और

kk

दर स्थिरांक (Rate Constant) है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी अभिक्रिया का दर स्थिरांक ज्ञात है, तो उसके आधार पर आप उस अभिक्रिया के अर्द्ध-आयुकाल की गणना कर सकते हैं। अर्द्ध-आयुकाल को समझने से यह पता चलता है कि कोई रासायनिक प्रक्रिया कितनी तेजी से हो रही है।

यहाँ अर्द्ध-आयुकाल (Half-Life) के 10 उदाहरण दिए गए हैं:

  1. यूरेनियम-238 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 4.5 अरब वर्ष होता है।
  2. कार्बन-14 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 5730 वर्ष होता है, जिसका उपयोग जीवाश्म डेटिंग में किया जाता है।
  3. फॉस्फोरस-32 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 14.3 दिन होता है।
  4. प्लूटोनियम-239 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 24,100 वर्ष होता है।
  5. आयोडीन-131 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 8 दिन होता है, जिसका उपयोग चिकित्सा में थायरॉयड समस्याओं के इलाज में होता है।
  6. सोडियम-24 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 15 घंटे होता है।
  7. ट्राइटियम (हाइड्रोजन-3) का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 12.3 वर्ष होता है।
  8. सीज़ियम-137 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 30 वर्ष होता है।
  9. राडॉन-222 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 3.8 दिन होता है।
  10. कोबाल्ट-60 का अर्द्ध-आयुकाल लगभग 5.27 वर्ष होता है, जिसका उपयोग कैंसर उपचार में विकिरण स्रोत के रूप में किया जाता है।

इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न रेडियोधर्मी तत्वों और रासायनिक अभिकारकों के अर्द्ध-आयुकाल अलग-अलग होते हैं और ये उनके स्थायित्व और उपयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं।

sf4 structure and hybridization

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