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pharmacognosy history|औषधीय पौधों के अध्ययन में फर्माकोग्नोसी का महत्व

pharmacognosy history| औषधि विज्ञान (Pharmacy) की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जो प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त औषधियों का अध्ययन करती है। यह विशेष रूप से पौधों, खनिजों, और जीव-जंतुओं जैसे प्राकृतिक स्रोतों से औषधीय पदार्थों की पहचान, संरचना, और उनके औषधीय उपयोगों पर केंद्रित होती है।


फर्माकोग्नोसी की परिभाषा

फर्माकोग्नोसी का अर्थ है:

  • “Pharmakon” (ग्रीक शब्द) = दवा या औषधि
  • “Gnosis” = ज्ञान
    अतः फर्माकोग्नोसी का तात्पर्य है औषधियों और उनके प्राकृतिक स्रोतों का ज्ञान।

औषधीय पौधों के अध्ययन में फर्माकोग्नोसी का महत्व

  1. औषधीय पौधों की पहचान और वर्गीकरण:
    • फर्माकोग्नोसी औषधीय पौधों की पहचान, उनके वर्गीकरण और उनकी जैविक विशेषताओं को समझने में मदद करती है।
    • यह सुनिश्चित करती है कि उपयोग किए जाने वाले पौधे सही प्रजाति और गुणवत्ता के हों।
  2. सक्रिय यौगिकों का अध्ययन:
    • औषधीय पौधों में मौजूद सक्रिय यौगिकों (Active Constituents) जैसे अल्कलॉइड, फ्लेवोनॉइड, टेरपेनॉइड आदि का अध्ययन किया जाता है। ये यौगिक औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  3. प्राकृतिक उत्पादों का विकास:
    • फर्माकोग्नोसी प्राकृतिक स्रोतों से नए औषधीय उत्पादों (Drugs) के विकास में योगदान देती है।
    • जैसे, मॉर्फीन (अफीम से), क्विनिन (सिनकोना वृक्ष से), और डिजिटालिस (फॉक्सग्लोव पौधे से)।
  4. हरित चिकित्सा (Herbal Medicine):
    • आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों में औषधीय पौधों का प्रमुख योगदान है।
    • फर्माकोग्नोसी इन पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के वैज्ञानिक आधार को मजबूत करती है।
  5. प्राकृतिक स्रोतों से नई दवाओं की खोज (Drug Discovery):
    • फर्माकोग्नोसी प्राकृतिक स्रोतों से नई दवाओं की खोज का आधार है।
    • वर्तमान में कैंसर, हृदय रोग, और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्राकृतिक स्रोतों से नए यौगिक खोजे जा रहे हैं।
  6. गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control):
    • औषधीय पौधों के उत्पादों की गुणवत्ता और शुद्धता सुनिश्चित करने में मदद करती है।
    • यह सुनिश्चित करती है कि औषधियां किसी भी मिलावट या अशुद्धि से मुक्त हों।
  7. पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास:
    • औषधीय पौधों के अध्ययन से उनकी उपयुक्त खेती, संरक्षण, और सतत उपयोग को बढ़ावा मिलता है।
    • यह जैव विविधता के संरक्षण में भी मदद करता है।

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