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ToggleL-S युग्मन का अर्थ:
- ऑर्बिटल कोणीय संवेग (L):
- यह इलेक्ट्रॉन के कक्षीय गति से जुड़ा होता है।
- यदि एक परमाणु में n इलेक्ट्रॉन हैं, तो सभी इलेक्ट्रॉनों के कक्षीय कोणीय संवेग (l1,l2,l3,…) को वेक्टर रूप में जोड़ा जाता है, जिससे कुल ऑर्बिटल कोणीय संवेग (L) प्राप्त होता है।
- स्पिन कोणीय संवेग (S):
- यह इलेक्ट्रॉन के आंतरिक गुणधर्म, स्पिन, से संबंधित है।
- सभी इलेक्ट्रॉनों के स्पिन कोणीय संवेग (s1,s2,s3,…) को जोड़ा जाता है, जिससे कुल स्पिन कोणीय संवेग (S) प्राप्त होता है।
- कुल कोणीय संवेग (J):
- अंत में, L और S को वेक्टर रूप में जोड़ा जाता है, जिससे कुल कोणीय संवेग (J) प्राप्त होता है:J=L+S
- J के मान ∣L−S∣ से L+S तक हो सकते हैं।
L-S युग्मन द्वारा दी जाने वाली जानकारी:
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक:
- यह प्रक्रिया परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक अवस्थाओं को स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक (Spectroscopic Term Symbol) के रूप में व्यक्त करती है, जो 2S+1LJ के रूप में लिखा जाता है।
- S: स्पिन गुणांक।
- L: ऑर्बिटल गुणांक (जो S,P,D,F,… द्वारा दर्शाया जाता है)।
- J: कुल कोणीय संवेग।
- उदाहरण: 3P2, 1S0।
- यह प्रक्रिया परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक अवस्थाओं को स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक (Spectroscopic Term Symbol) के रूप में व्यक्त करती है, जो 2S+1LJ के रूप में लिखा जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक अवस्थाओं का ऊर्जा स्तर:
- L-S युग्मन का उपयोग परमाणु के ऊर्जा स्तरों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
- जब L और S युग्मित होते हैं, तो स्पिन-कक्षीय युग्मन के कारण अलग-अलग J अवस्थाओं में ऊर्जा का विभाजन होता है।
- स्पेक्ट्रम की व्याख्या:
- यह परमाणु स्पेक्ट्रा में उत्पन्न होने वाले संरचनात्मक बारीकियों (Fine Structure) को समझने में मदद करता है।
- आवर्त सारणी में प्रवृत्ति:
- L-S युग्मन हल्के परमाणुओं (जैसे, कार्बन, नाइट्रोजन) में प्रभावी है, जहां स्पिन-कक्षीय युग्मन अपेक्षाकृत कमजोर होता है। भारी परमाणुओं में, j−j युग्मन प्रभावी हो जाता है।
L-S युग्मन का महत्व:
- यह परमाणु संरचना और स्पेक्ट्रल लाइनें समझने के लिए एक बुनियादी ढांचा प्रदान करता है।
- हल्के तत्वों के स्पेक्ट्रा की व्याख्या में इसका उपयोग किया जाता है।
- यह क्वांटम भौतिकी और परमाणु भौतिकी में ऊर्जा स्तरों की बारीकी से समझ के लिए आवश्यक है।
उदाहरण 1: हाइड्रोजन (H)
- हाइड्रोजन में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है (n=1,l=0, s=21).
- L=0 (क्योंकि केवल एक इलेक्ट्रॉन है)।
- S=21।
- कुल कोणीय संवेग J=L+S=21।
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक: 2S21।
उदाहरण 2: हीलियम (He) का पहला उत्तेजित अवस्था
- इलेक्ट्रॉनिक संरचना: 1s2p।
- इलेक्ट्रॉनों के लिए:
- l1=0, l2=1; L=1 (वेक्टर योग)।
- s1=21, s2=21; S=1 या S=0।
- J=L+S:
- यदि S=1, तो J=2,1,0।
- यदि S=0, तो J=1।
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक: 3P2, 3P1, 3P0, 1P1।
उदाहरण 3: कार्बन (C)
- इलेक्ट्रॉनिक संरचना: 1s22s22p2।
- 2p उपशेल में दो इलेक्ट्रॉन हैं:
- l1=1, l2=1; L=2,1,0।
- s1=21, s2=21; S=1 या S=0।
- J=L+S:
- यदि L=2,S=1: J=3,2,1।
- यदि L=1,S=1: J=2,1,0।
- यदि L=0,S=1: J=1।
- यदि S=0: J=L।
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक: 3P2, 3P1, 3P0, 1D2, 1S0।
उदाहरण 4: ऑक्सीजन (O)
- इलेक्ट्रॉनिक संरचना: 1s22s22p4।
- 2p उपशेल में चार इलेक्ट्रॉन हैं:
- L=1 और S=1 प्रमुख रूप से युग्मन के बाद।
- J=L+S:
- J=2,1,0।
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक: 3P2, 3P1, 3P0।
उदाहरण 5: नाइट्रोजन (N)
- इलेक्ट्रॉनिक संरचना: 1s22s22p3।
- 2p में तीन इलेक्ट्रॉन हैं:
- L=3, S=23।
- J=L+S:
- J=29,27,25,…।
- स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक: 4S23।
यहाँ L-S युग्मन के लिए एक चार्ट प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विभिन्न परमाणुओं के L (ऑर्बिटल कोणीय संवेग), S (स्पिन कोणीय संवेग), और Jmax (कुल कोणीय संवेग) के मान दिए गए हैं:
Atom L (Orbital Angular Momentum) S (Spin Angular Momentum) J (Max Total Angular Momentum) H 0 0.5 0.5 He 1 1 2 C 2 1 3 O 1 1 2 N 3 1.5 4.5 स्पष्टीकरण:
- H (हाइड्रोजन): केवल एक इलेक्ट्रॉन है, इसलिए L=0, S=0.5, और J=0.5।
- He (हीलियम): उत्तेजित अवस्था में, L=1, S=1, और J=2।
- C (कार्बन): दो p-इलेक्ट्रॉनों के कारण L=2, S=1, और J=3।
- O (ऑक्सीजन): L=1, S=1, और J=2।
- N (नाइट्रोजन): L=3, S=1.5, और J=4.5।
यह तालिका इन परमाणुओं के क्वांटम गुणों का स्पष्ट रूप से प्रतिनिधित्व करती है।
सारांश:
L-S युग्मन में स्पेक्ट्रल टर्म प्रतीक 2S+1LJ का उपयोग करके विभिन्न इलेक्ट्रॉनों की अवस्थाओं का वर्णन किया जाता है। ये प्रतीक परमाणु के ऊर्जा स्तर और स्पेक्ट्रम की संरचना को समझने के लिए उपयोगी होते हैं।
- ऑर्बिटल कोणीय संवेग (L):