ELECTROPHORESIS KA MUL SIDHANT AUR TECHNIQUE
ELECTROPHORESIS KA MUL SIDHANT AUR TECHNIQUE
इलेक्ट्रोफोरेसिस का मूल सिद्धांत और इसके विभिन्न प्रकार
परिचय
इलेक्ट्रोफोरेसिस (Electrophoresis) एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसका उपयोग जैविक अणुओं, विशेष रूप से प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड (डीएनए और आरएनए) को पृथक करने और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक विद्युत क्षेत्र में चार्ज युक्त कणों के गमन (Migration) के सिद्धांत पर आधारित है।
इलेक्ट्रोफोरेसिस का मूल सिद्धांत
इलेक्ट्रोफोरेसिस का मूल सिद्धांत यह है कि जब किसी चार्ज युक्त अणु (जैसे प्रोटीन, डीएनए, या आरएनए) को विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है, तो वह अपने चार्ज के अनुसार विपरीत ध्रुव की ओर गति करता है। यह गति अणु के आकार, चार्ज, और माध्यम (Gel या Buffer) की प्रकृति पर निर्भर करती है।
प्रमुख कारक जो इलेक्ट्रोफोरेसिस को प्रभावित करते हैं:
- अणु का आकार: छोटे अणु तेजी से गति करते हैं, जबकि बड़े अणु धीमी गति से चलते हैं।
- अणु का चार्ज: अधिक चार्ज वाले अणु तेजी से गति करते हैं।
- माध्यम की प्रकृति: गाढ़े माध्यम (जैसे कि ऐगरोज या पॉलीएक्रिलामाइड जेल) में अणुओं की गति धीमी होती है।
- विद्युत क्षेत्र की तीव्रता: उच्च वोल्टेज पर अणु तेजी से गति करते हैं।
इलेक्ट्रोफोरेसिस के प्रमुख प्रकार
इलेक्ट्रोफोरेसिस को विभिन्न तकनीकों में विभाजित किया जाता है:
1. ऐगरोज जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (Agarose Gel Electrophoresis – AGE)
- इसका उपयोग मुख्य रूप से डीएनए और आरएनए के पृथक्करण के लिए किया जाता है।
- ऐगरोज जेल में न्यूक्लिक एसिड अणु आकार के आधार पर अलग होते हैं।
- इथिडियम ब्रोमाइड (Ethidium Bromide) या अन्य डाई का उपयोग करके डीएनए को दृश्य बनाया जाता है।
2. पॉलीएक्रिलामाइड जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (Polyacrylamide Gel Electrophoresis – PAGE)
- यह तकनीक छोटे अणुओं (विशेष रूप से प्रोटीन और छोटे न्यूक्लिक एसिड) के पृथक्करण के लिए प्रयोग की जाती है।
- इसमें अधिक सटीक पृथक्करण होता है क्योंकि पॉलीएक्रिलामाइड जेल में छोटे छिद्र होते हैं।
3. सोडियम डोडेसिल सल्फेट-पॉलीएक्रिलामाइड जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (SDS-PAGE)
- यह प्रोटीन विश्लेषण के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली तकनीक है।
- एसडीएस एक डिटर्जेंट है जो प्रोटीन को उनके मूल संरचना से अलग करके उन्हें नेगेटिव चार्ज प्रदान करता है, जिससे वे केवल अपने आकार के आधार पर पृथक होते हैं।
4. कैपिलरी इलेक्ट्रोफोरेसिस (Capillary Electrophoresis – CE)
- यह तकनीक उच्च विभेदन (High Resolution) प्रदान करती है और छोटे नमूने के विश्लेषण के लिए उपयोगी होती है।
- इसमें अणु एक पतली कैपिलरी ट्यूब में विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से गति करते हैं।
5. आईसोइलेक्ट्रिक फोकसिंग (Isoelectric Focusing – IEF)
- इसमें प्रोटीन को उनके आइसोइलेक्ट्रिक पॉइंट (pI) के अनुसार पृथक किया जाता है।
- यह तकनीक विशेष रूप से प्रोटीन मिश्रणों के विश्लेषण के लिए प्रयोग की जाती है।
इलेक्ट्रोफोरेसिस के अनुप्रयोग (Applications of Electrophoresis)
- जैव प्रौद्योगिकी में: डीएनए फिंगरप्रिंटिंग, जीन विश्लेषण और प्रोटीन पृथक्करण के लिए।
- चिकित्सा विज्ञान में: आनुवंशिक विकारों की पहचान और जैविक नमूनों की जांच में।
- फोरेंसिक विज्ञान में: अपराध जांच में डीएनए प्रमाणों के विश्लेषण में।
- औषधि अनुसंधान में: औषधीय प्रोटीन और एंजाइमों के अध्ययन में।
निष्कर्ष
इलेक्ट्रोफोरेसिस एक शक्तिशाली तकनीक है जो जैविक अणुओं को उनके आकार, चार्ज और अन्य भौतिक गुणों के आधार पर अलग करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसकी विभिन्न तकनीकों का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सा और फोरेंसिक विज्ञान में किया जाता है। यह तकनीक आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी और आणविक जीवविज्ञान अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गई है।