CHROMATOGRAPHY KA MUL SIDDHANT EVM PRAKAR
CHROMATOGRAPHY KA MUL SIDDHANT EVM PRAKAR
क्रोमैटोग्राफी का मूल सिद्धांत एवं इसके विभिन्न प्रकार
परिचय
क्रोमैटोग्राफी (Chromatography) एक महत्वपूर्ण प्रयोगशाला तकनीक है, जिसका उपयोग मिश्रणों के पृथक्करण (Separation), विश्लेषण (Analysis) और शुद्धिकरण (Purification) के लिए किया जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से जैविक और रासायनिक यौगिकों जैसे प्रोटीन, एमिनो एसिड, पिगमेंट, और अन्य कार्बनिक यौगिकों के अध्ययन में उपयोगी होती है।

इस विधि की खोज 1903 में रूसी वैज्ञानिक मिखाइल स्वेट (Mikhail Tswett) ने की थी, जिन्होंने इसका उपयोग पौधों के पिगमेंट पृथक्करण के लिए किया था। आज, क्रोमैटोग्राफी का व्यापक उपयोग रसायन विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, औषधीय विज्ञान, फोरेंसिक विज्ञान और अन्य अनुसंधान क्षेत्रों में किया जाता है।
क्रोमैटोग्राफी का मूल सिद्धांत
क्रोमैटोग्राफी एक पृथक्करण तकनीक है जो किसी मिश्रण के घटकों को दो चरणों (Phases) के बीच उनके आपेक्षिक वितरण (Relative Distribution) के आधार पर अलग करने के सिद्धांत पर कार्य करती है।
मुख्य दो चरण:
- स्थिर चरण (Stationary Phase) – यह एक ठोस या तरल पदार्थ होता है, जो एक निश्चित सतह पर स्थिर रहता है।
- गतिशील चरण (Mobile Phase) – यह एक गैस या तरल होता है, जो नमूने (Sample) को स्थिर चरण के माध्यम से प्रवाहित करता है।
जब कोई मिश्रण क्रोमैटोग्राफी प्रणाली से गुजरता है, तो उसके विभिन्न घटक स्थिर और गतिशील चरणों के प्रति अलग-अलग आकर्षण (Affinity) दिखाते हैं। जिन घटकों का स्थिर चरण के प्रति अधिक आकर्षण होता है, वे धीमे चलते हैं, जबकि जिनका गतिशील चरण के प्रति अधिक आकर्षण होता है, वे तेजी से आगे बढ़ते हैं। यही प्रक्रिया घटकों के पृथक्करण में सहायक होती है।
क्रोमैटोग्राफी के प्रकार
क्रोमैटोग्राफी को विभिन्न आधारों पर विभाजित किया जा सकता है। प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. विभाजन क्रोमैटोग्राफी (Partition Chromatography)
इस तकनीक में स्थिर और गतिशील चरण दोनों तरल होते हैं। अलगाव तरल-तरल इंटरफेस पर सॉल्यूट के वितरण के अनुसार होता है।
- उदाहरण: पेपर क्रोमैटोग्राफी (Paper Chromatography)
2. अवशोषण क्रोमैटोग्राफी (Adsorption Chromatography)
इसमें स्थिर चरण एक ठोस पदार्थ होता है, जिस पर मिश्रण के घटक अवशोषित होते हैं। यह घटकों के विभिन्न अवशोषण क्षमताओं पर आधारित होता है।
- उदाहरण: थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (Thin Layer Chromatography – TLC)
3. आयन-विनिमय क्रोमैटोग्राफी (Ion-Exchange Chromatography)
इस तकनीक में स्थिर चरण में उपस्थित आयन किसी नमूने के आयनों के साथ विनिमय करते हैं। यह विधि मुख्य रूप से जैविक यौगिकों जैसे प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड के पृथक्करण के लिए प्रयोग की जाती है।
- उदाहरण: प्रोटीन शुद्धिकरण (Protein Purification)
4. गैस क्रोमैटोग्राफी (Gas Chromatography – GC)
इसमें गतिशील चरण एक गैस होती है, जबकि स्थिर चरण एक तरल या ठोस होता है। यह वाष्पशील यौगिकों (Volatile Compounds) के पृथक्करण के लिए उपयुक्त होती है।
- उदाहरण: पेट्रोलियम उत्पादों और अपराध विज्ञान में उपयोग
5. तरल क्रोमैटोग्राफी (Liquid Chromatography – LC)
इसमें गतिशील चरण एक तरल होता है। यह उन यौगिकों के लिए प्रयोग होती है, जो गैस क्रोमैटोग्राफी में स्थिर नहीं रह सकते।
- उदाहरण: उच्च-द्रव क्रोमैटोग्राफी (High-Performance Liquid Chromatography – HPLC)
6. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समर्थित क्रोमैटोग्राफी (AI-assisted Chromatography)
नई तकनीकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके डेटा प्रोसेसिंग और स्वचालित पहचान के लिए क्रोमैटोग्राफी में सुधार किया जा रहा है।
वनस्पति विज्ञान में क्रोमैटोग्राफी का महत्व
वनस्पति विज्ञान (Botany) में क्रोमैटोग्राफी का उपयोग निम्नलिखित प्रमुख कार्यों के लिए किया जाता है:
- पौधों में पिगमेंट का अध्ययन (Plant Pigment Analysis)
- मेटाबोलाइट्स और द्वितीयक उत्पादों का पृथक्करण (Separation of Metabolites & Secondary Metabolites)
- आनुवंशिक संशोधित फसलों का विश्लेषण (GMO Analysis)
- औषधीय पौधों के सक्रिय घटकों की पहचान (Identification of Active Ingredients in Medicinal Plants)
- पर्यावरणीय विषाक्तता परीक्षण (Environmental Toxicity Testing)
निष्कर्ष
क्रोमैटोग्राफी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से रासायनिक, जैविक और वनस्पति घटकों का विश्लेषण, पृथक्करण और शुद्धिकरण किया जाता है।
वनस्पति विज्ञान में, यह तकनीक पिगमेंट्स, एंजाइम्स, द्वितीयक मेटाबोलाइट्स और औषधीय पौधों के यौगिकों के अध्ययन के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। नई शोध विधियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संयोजन से क्रोमैटोग्राफी में और अधिक उन्नति हो रही है।
संदर्भ (References)
- Skoog, Holler, & Crouch: Principles of Instrumental Analysis
- Chatwal & Anand: Instrumental Methods of Chemical Analysis
- Vogel’s Textbook of Quantitative Chemical Analysis