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coordination compounds notes वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत और EAN

coordination compounds notes वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत और EAN.इस लेख में वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत और प्रभावी परमाणु संख्या (EAN) से संबंधित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दिए गए हैं।

Table of Contents

coordination compounds notes वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत और EAN

वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।

उत्तर: वर्ण का उप-संयोजकता सिद्धांत यह बताता है कि संक्रमण धातुएं अपने संयोजकता के लिए केवल सहसंयोजक बांड ही नहीं बल्कि द्वितीयक बांड भी बनाते हैं। उदाहरण के लिए, [Co(NH3)6]3+[Co(NH_3)_6]^{3+} में, कोबाल्ट Co3+Co^{3+} के साथ छह अमोनिया (NH3_3) अणु सहसंयोजक बांड बनाते हैं और एक साथ द्वितीयक बांड द्वारा जुड़ते हैं।

वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत का विस्तृत वर्णन कीजिए। इसके महत्वपूर्ण दोष क्या हैं और संयोजकता इलेक्ट्रॉन सिद्धांत द्वारा इनका निराकरण कैसे हुआ?

उत्तर: वर्ण का उप-संयोजकता सिद्धांत संक्रमण धातुओं की संयोजकता को समझाने के लिए प्रयोग किया जाता था। यह सिद्धांत कहता है कि धातु आयन सहसंयोजक बांड बनाने के साथ द्वितीयक बांड भी बनाते हैं। इसके दोष:

  • यह सिद्धांत धातु-लिगैंड बांड के वास्तविक प्रकार और प्रकृति को सही से नहीं समझा सकता।
  • यह सिद्धांत इलेक्ट्रॉन वितरण और बांड की शक्ति के बारे में स्पष्ट नहीं है।

संयोजकता इलेक्ट्रॉन सिद्धांत (CFT) के द्वारा निराकरण:

  • यह सिद्धांत बांड की दिशा और इलेक्ट्रॉन वितरण को ध्यान में रखता है।
  • CFT के अनुसार, लिगैंड्स के विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से d-ऑर्बिटल का विभाजन होता है, जिससे संयोजकता की बेहतर व्याख्या होती है।

 निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए—

(अ) प्रभावी परमाणु संख्या
उत्तर: प्रभावी परमाणु संख्या (EAN) किसी संयुग्मित धातु आयन के चारों ओर इलेक्ट्रॉन संख्या का माप है, जिसमें संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को भी शामिल किया जाता है। इसे निम्न सूत्र से निकाला जाता है:
EAN=धातु का परमाणु संख्याआयन का ऑक्सीडेशन संख्या+लिगैंड से मिलने वाले इलेक्ट्रॉन\text{EAN} = \text{धातु का परमाणु संख्या} – \text{आयन का ऑक्सीडेशन संख्या} + \text{लिगैंड से मिलने वाले इलेक्ट्रॉन}

(ब) लिगैंड
उत्तर: लिगैंड ऐसे अणु या आयन होते हैं जो धातु आयन के चारों ओर एक या एक से अधिक युग्मित इलेक्ट्रॉन प्रदान करके सहसंयोजक बांड बनाते हैं। लिगैंड्स का उदाहरण: NH3\text{NH}_3, H2O\text{H}_2O, Cl\text{Cl}^- आदि।

वर्ण के उप-संयोजक सिद्धांत की व्याख्या कीजिए। इन सिद्धांत के आधार पर प्लूटियो कोबाल्टिक क्लोराइड की संरचना को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: वर्ण का उप-संयोजकता सिद्धांत यह बताता है कि धातु आयन सहसंयोजक बांड बनाने के साथ द्वितीयक बांड भी बनाते हैं। प्लूटियो कोबाल्टिक क्लोराइड की संरचना: [CoCl2(NH3)4]Cl\text{[CoCl}_2\text{(NH}_3\text{)}_4\text{]}\text{Cl}. इसमें कोबाल्ट आयन (Co) चार अमोनिया (NH3_3) और दो क्लोराइड (Cl^-) लिगैंड के साथ सहसंयोजक बांड बनाता है।

निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए—

(अ) वर्ण सिद्धांत का उपयोग
उत्तर: वर्ण सिद्धांत का उपयोग संक्रमण धातु परिसरों की संयोजकता और रासायनिक व्यवहार को समझने के लिए किया जाता है।

(ब) सिडविक का EAN नियम
उत्तर: सिडविक का प्रभावी परमाणु संख्या (EAN) नियम कहता है कि किसी धातु आयन के चारों ओर के लिगैंड्स के द्वारा प्राप्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या और धातु के कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या 18 होनी चाहिए।

वर्ण के उप-संयोजकता सिद्धांत का वर्णन कीजिए। कोबाल्ट एमीन पर यह कैसे लागू होती है?

उत्तर: वर्ण का उप-संयोजकता सिद्धांत यह कहता है कि धातु आयन सहसंयोजक और द्वितीयक बांड बनाते हैं। कोबाल्ट एमीन [Co(NH3)6]3+[Co(NH_3)_6]^{3+} में, कोबाल्ट (Co3+)(Co^{3+}) और छह अमोनिया (NH3)(NH_3) सहसंयोजक बांड बनाते हैं।

सिडविक के वर्ण के सिद्धांत को संयोजकता के इलेक्ट्रॉन सिद्धांत द्वारा किस प्रकार समझाया?

उत्तर: सिडविक का वर्ण सिद्धांत धातु-लिगैंड बांड की पूर्ण व्याख्या नहीं कर सकता, जबकि संयोजकता इलेक्ट्रॉन सिद्धांत (CFT) धातु के d-ऑर्बिटल के विभाजन और लिगैंड के प्रभाव को ध्यान में रखता है, जो अधिक स्पष्ट व्याख्या देता है।

 “प्रभावी परमाणु क्रमांक (EAN)” का नियम क्या है? इसकी सीमाएँ क्या हैं? निम्नलिखित में EAN की गणना कीजिए—

(i) Ni(CO)_4
उत्तर:

  • नियम: किसी धातु आयन के चारों ओर के लिगैंड्स द्वारा प्राप्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या और धातु के कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या 18 होनी चाहिए।
  • सीमाएँ: यह नियम हमेशा सही नहीं होता, विशेषकर तब जब लिगैंड्स की प्रकृति भिन्न हो।
  • गणना: EAN(Ni(CO)4)=28(Ni का परमाणु संख्या)0(ऑक्सीडेशन संख्या)+8(चार CO से 8 इलेक्ट्रॉन)=36\text{EAN}(\text{Ni(CO)}_4) = 28 (\text{Ni का परमाणु संख्या}) – 0 (\text{ऑक्सीडेशन संख्या}) + 8 (\text{चार CO से 8 इलेक्ट्रॉन}) = 36

(ii) [Cr(CN)6_6]3^{3-} EAN(Cr(CN)6)=24(Cr का परमाणु संख्या)3(ऑक्सीडेशन संख्या)+12(छह CN से 12 इलेक्ट्रॉन)

=33\text{EAN}(\text{Cr(CN)}_6) = 24 (\text{Cr का परमाणु संख्या}) – 3 (\text{ऑक्सीडेशन संख्या}) + 12 (\text{छह CN से 12 इलेक्ट्रॉन}) = 33

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